देवरिया शहर का एसएस मॉल पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है। यहां के मालिक उस्मान अंसारी पर धर्म परिवर्तन और यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। लेकिन अब कहानी ने नया मोड़ ले लिया है। मॉल के कर्मचारी खुद आगे आकर मालिक का पक्ष रखते हुए कह रहे हैं कि सच्चाई कुछ और है और यह मामला बेवजह तूल दिया जा रहा है।
कर्मचारियों की भावनाएं और मालिक के लिए समर्थन
मंगलवार को एसएस मॉल के कर्मचारी सीधे जिलाधिकारी दिव्या मित्तल, पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर और कोतवाल विनोद सिंह से मिले। उनकी आंखों में बेचैनी और दिल में सच्चाई की पुकार थी। उन्होंने साफ कहा कि मॉल में करीब पचास कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के युवक-युवतियां शामिल हैं। लेकिन कभी भी यहां धर्म या जाति के आधार पर विवाद की स्थिति नहीं बनी।
कर्मचारियों का कहना है कि उनके मालिक उस्मान अंसारी हमेशा सभी को परिवार जैसा माहौल देते हैं। यही वजह है कि आज जब उन पर आरोप लगे हैं तो पूरा स्टाफ उनके पक्ष में खड़ा हो गया है।
गबन का सच और नए आरोपों की कहानी
कर्मचारियों ने बताया कि असली विवाद तब शुरू हुआ जब मॉल के पूर्व हेड कैशियर शाह आलम का गबन पकड़ा गया। बिक्री की रसीदों में हेराफेरी कर उसने लगभग 50 लाख रुपये का गबन किया। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उसका सच सामने आया और 15 मार्च 2025 को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। जांच के दौरान यह भी पता चला कि शाह आलम ने ईजी मार्ट की एक युवती कर्मचारी और उसकी मां के खातों में रकम ट्रांसफर की थी।
मॉल कर्मचारियों का दावा है कि वही युवती अब अदालत में बयान देते समय न तो धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठाती है और न ही एसएस मॉल में नौकरी करने की बात स्वीकार करती है। इसके बावजूद 7 सितंबर को उसने कोतवाली में धारा 354ख, धर्म परिवर्तन अधिनियम और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया। कर्मचारियों का कहना है कि यह मामला सच्चाई से दूर है और प्रशासन को गहराई से जांच करनी चाहिए।
सच्चाई की तलाश और उम्मीद
देवरिया का यह मामला सिर्फ एक मॉल या उसके मालिक का नहीं है, बल्कि उन कर्मचारियों का भी है जो वहां अपनी रोज़ी-रोटी कमाते हैं। उनका विश्वास है कि जांच के बाद सच सामने आएगा और उनके मालिक पर लगे आरोप निराधार साबित होंगे।