भटनी, देवरिया।
श्रद्धा और भक्ति के भावों से सराबोर वातावरण में शुक्रवार को मिश्रौली दीक्षित गांव में श्रीमद्भागवत कथा का विधिवत शुभारंभ हुआ। कथा व्यास पं. वागीश मणि त्रिपाठी के भावपूर्ण वाणी से जब कथा का आरंभ हुआ, तो समूचा वातावरण भक्तिरस में डूब गया।
कथा के प्रथम दिवस पर त्रिपाठी जी ने धुंधकारी और गोकर्ण के प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि सत्संग और श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही मानव जीवन को मोक्ष की दिशा मिलती है। उन्होंने कहा, “मनुष्य कितना भी पापी क्यों न हो, यदि उसे भागवत कथा और सत्संग का अवसर मिल जाए तो उसका जीवन धन्य हो जाता है।”
धुंधकारी जैसे व्यक्ति, जो जीवन भर पापों में लिप्त रहा, उसे भी जब गोकर्ण ने भागवत सुनाई, तो वह आत्मा रूप में भी मुक्त हो गया। यही श्रीमद्भागवत की दिव्यता है, जिससे अज्ञान के अंधकार में डूबे जीवन को प्रकाश मिल जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज का मानव संसारिक चकाचौंध में फंसकर जीवन के वास्तविक उद्देश्य से भटक गया है। भागवत कथा आत्मा की उस पुकार का उत्तर है, जो परमात्मा की ओर जाने का मार्ग ढूंढ रही है।
इससे पहले कथा स्थल को फूल-मालाओं, रोशनी और रंगोली से भव्य रूप से सजाया गया था। भक्तगण भक्ति संगीत और मंत्रोच्चार के बीच गदगद होकर कथा श्रवण करते दिखाई दिए।
इस शुभ अवसर पर यजमान विनोद दीक्षित, राघव दीक्षित, अनिल दीक्षित, अरुण कुमार दीक्षित, शम्भू शरण दीक्षित, सच्चिदानंद दीक्षित, अजय कुमार, भगवती यादव, अभिषेक कुमार उपस्थित रहे।