भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए कहा कि अब वे इस पद की जिम्मेदारी नहीं निभा सकते। राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा:
“स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।”
धनखड़ ने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रिमंडल और संसद के सदस्यों को भी उनके सतत सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
हाल ही में बिगड़ी थी तबीयत
25 जून 2025 को उत्तराखंड के नैनीताल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। वे कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे।
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद बाहर निकलते समय वे पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल के साथ थे। बाहर आते समय धनखड़ अचानक भावुक हो गए और पाल से गले लगकर रोने लगे। तभी उन्हें सीने में तेज़ दर्द महसूस हुआ।
सुरक्षाकर्मियों और पूर्व सांसद ने तुरंत उन्हें संभाला और नैनीताल राजभवन ले जाया गया, जहां प्राथमिक चिकित्सा के बाद उन्हें कुछ समय के लिए विश्राम की सलाह दी गई थी।

2022 में बने थे देश के 14वें उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर यह चुनाव जीता था।
चुनाव में धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को मात्र 182 वोट प्राप्त हुए।
सक्रिय राजनीतिक जीवन और लंबा अनुभव
धनखड़ का राजनीतिक और संवैधानिक अनुभव गहरा और विविध रहा है।
- वे 1989 से 1991 तक झुंझुनू (राजस्थान) से लोकसभा सांसद रहे।
- वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।
- 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनाए गए और तीन वर्षों तक वहां संवैधानिक पद पर रहे।
- राज्यपाल रहते हुए धनखड़ और ममता बनर्जी सरकार के बीच कई बार तीखी वैचारिक भिड़ंतें भी सुर्खियों में रहीं।
- उपराष्ट्रपति बनने के बाद वे राज्यसभा के सभापति भी बने और कार्यवाही संचालन में उनकी सक्रिय भूमिका रही।
साधारण किसान परिवार से उपराष्ट्रपति तक का सफर
धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक साधारण किसान परिवार में हुआ।
शिक्षा की शुरुआत गांव के स्कूल से हुई। फिर सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में दाखिला मिला। वे NDA के लिए चयनित भी हुए लेकिन उन्होंने सेना के बजाय कानून और राजनीति को अपना मार्ग चुना।
उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और फिर LLB की पढ़ाई की। जयपुर में उन्होंने वकालत शुरू की और शीघ्र ही वे एक सफल अधिवक्ता और फिर एक चर्चित नेता के रूप में उभरे।
राजनीतिक हलकों में हलचल
धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब देश में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। सूत्रों के अनुसार जल्द ही चुनाव आयोग इसकी घोषणा कर सकता है।
धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक और संवैधानिक गलियारों में अचानक हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि वर्तमान में संसद का मानसून सत्र भी चल रहा है।
पढ़िए त्याग पत्र में धनखड़ ने क्या लिखा
माननीय राष्ट्रपति जी .. सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा, जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला है, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तेज विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। गहरी श्रद्धा और आभार के साथ, जगदीप धनखड़