देवरिया, 16 जुलाई 2025।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ देवरिया ने एक बार फिर जिले में विद्यालय युग्मन नीति के खिलाफ आवाज़ बुलंद की है। जिला संयोजक श्री जयशिव प्रताप चंद के नेतृत्व में संगठन का प्रतिनिधिमंडल आज जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल से मिला और जनहित में अपनी मांगों को विस्तार से रखा।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 50 से कम छात्रसंख्या वाले विद्यालयों का अन्य विद्यालयों में विलय किए जाने से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। विशेष रूप से दलित, पिछड़े वर्ग और बालिकाओं को इस फैसले से सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री के निर्देशों का हवाला, फिर भी हो रही अनदेखी?
संगठन ने बताया कि दिनांक 14 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित समीक्षा बैठक में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया था कि “जिन विद्यालयों में 50 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, उन्हें स्वतंत्र विद्यालय के रूप में संचालित किया जाए।” बावजूद इसके, जनपद देवरिया में कुछ ऐसे विद्यालय जिनमें 50 से अधिक नामांकन हैं, उनका भी युग्मन कर दिया गया है, जो मुख्यमंत्री के निर्देशों की भावना के विपरीत है।
जिलाधिकारी ने दी सकारात्मक प्रतिक्रिया
प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुनते हुए जिलाधिकारी महोदया श्रीमती दिव्या मित्तल ने आश्वासन दिया कि 50 से अधिक नामांकन वाले विद्यालयों का युग्मन न किया जाए, इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन विद्यालयों का अव्यवहारिक युग्मन किया गया है, उनका स्थल निरीक्षण कर स्थिति का यथाशीघ्र समाधान कराया जाएगा।
अवैध और मानकविहीन स्कूलों पर भी उठाई चिंता
इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने देवरिया जिले में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त और मानक विहीन विद्यालयों के संचालन पर रोक लगाने तथा शिक्षकों को बीएलओ (BLO) ड्यूटी से मुक्त करने की मांग भी जिलाधिकारी के समक्ष रखी। इस पर जिलाधिकारी महोदया ने अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) को निर्देश दिए कि ऐसे विद्यालयों की जांच कर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
📌 निष्कर्ष:
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की यह पहल न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को बनाए रखने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है, बल्कि यह ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के हितों की सुरक्षा का भी सशक्त उदाहरण है। अब देखना यह होगा कि ज़मीनी स्तर पर इन मांगों को किस हद तक अमल में लाया जाता है।