कभी-कभी एक छोटी सी लापरवाही, जनता के भरोसे और प्रशासन की गरिमा को गहरी चोट पहुँचा देती है। जब बात गांव की जमीन की हो, जो हर ग्रामीण की सामूहिक संपत्ति होती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता ना सिर्फ नियमों को तोड़ती है, बल्कि लोगों के हक़ पर भी कुठाराघात करती है। देवरिया ज़िले के सलेमपुर तहसील में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां ग्रामसभा की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर लापरवाही बरतने वाले लेखपाल को जिलाधिकारी ने सस्पेंड कर दिया।
तहसील दिवस में खुला लेखपाल की लापरवाही का राज़
5 जुलाई 2025 को आयोजित सलेमपुर तहसील दिवस में जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल ने राजस्व संबंधी मामलों की गंभीरता से सुनवाई की। इस दौरान भीमपुर गाँव से जुड़ा एक ऐसा प्रकरण सामने आया, जिसने प्रशासन की आंखें खोल दीं। यह मामला ग्रामसभा की भूमि पर अवैध कब्ज़े से जुड़ा था, जिसमें पहले से आदेश दिए जा चुके थे, लेकिन मौके पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई थी।
लेखपाल सुभाष गोंड, जिन पर सीमांकन और अतिक्रमण हटवाने की ज़िम्मेदारी थी, उन्होंने तहसीलदार की टीम गठित करने की पहल और उपजिलाधिकारी के निर्देशों को भी नजरअंदाज कर दिया। न तो भूमि का सीमांकन किया गया और न ही अतिक्रमण हटाने की कोई कोशिश हुई। यह सीधा जनहित की अनदेखी और शासनादेश की अवहेलना थी।
जिलाधिकारी ने दिखाई सख्ती, भेजा स्पष्ट संदेश
इस गंभीर लापरवाही पर जिलाधिकारी ने बिल्कुल भी देरी नहीं की और लेखपाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। इतना ही नहीं, सलेमपुर के उपजिलाधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया गया और संबंधित लेखपाल को आरोप पत्र भी जारी कर दिया गया है। साथ ही, राजस्व निरीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति भी भेज दी गई है।
डीएम महोदया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजस्व और जनहित से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शासन की प्राथमिकता है कि जनता को समय पर न्याय और प्रशासन की निष्पक्ष सेवा मिले, और अगर कोई अधिकारी इसमें बाधा बनता है, तो उसे उसका जवाब देना होगा।
जहां कार्रवाई हुई, वहीं ईमानदारी को मिला सम्मान
तहसील दिवस केवल लापरवाही के मामलों का खुलासा भर नहीं रहा। कई ऐसे राजस्व कर्मी भी रहे, जिन्होंने ईमानदारी और तत्परता से कार्य किया। ऐसे कर्मचारियों को जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित भी किया गया। साथ ही, कई राजस्व विवादों को आपसी सहमति और सुलह योजना के तहत निपटाया गया, जिससे ग्रामीणों को त्वरित राहत मिली।
जनता की जमीन, जनता की जिम्मेदारी – अब होगी जवाबदेही तय
यह पूरा मामला एक स्पष्ट उदाहरण है कि जब जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ते हैं, तो प्रशासन किस तरह सख्ती से पेश आता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी जमीनें सिर्फ आंकड़ों का हिस्सा नहीं होतीं, बल्कि ये लोगों की आजीविका, संसाधनों और अधिकारों से जुड़ी होती हैं। इन पर अतिक्रमण न केवल अवैध है, बल्कि सामाजिक अन्याय भी है।
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का यह कदम न सिर्फ कानून के पालन की दिशा में एक कड़ा संदेश है, बल्कि उन अधिकारियों को भी चेतावनी है जो अपने कर्तव्यों में लापरवाह हैं। अब यह ज़रूरी है कि जनता भी सजग रहे, और प्रशासनिक जवाबदेही को बनाए रखने में अपना योगदान दे।