किसान हमारी धरती की जान हैं, उनकी मेहनत से ही खेतों में हरियाली और घरों में रोटी की खुशबू आती है। जब किसान खुशहाल होते हैं, तभी गांवों में समृद्धि और समाज में संतुलन आता है। किसानों की इन्हीं परेशानियों और मुद्दों को समझने के लिए देवरिया के विकास भवन स्थित गांधी सभागार में किसान दिवस का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल ने की और किसानों की समस्याओं को बड़ी ही गंभीरता से सुना।

बैठक में जिलाधिकारी ने किसानों की शिकायतों को विस्तार से जाना और तुरंत कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने उप कृषि निदेशक को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि हर शिकायत दर्ज हो और उसका समाधान समय पर हो। किसानों ने अपनी तकलीफें साझा करते हुए बिजली आपूर्ति की दिक्कतें, सहकारी समिति के जर्जर भवन में खाद खराब होने की समस्या, दुग्ध उत्पादक संघ से बकाया भुगतान, जर्जर लकड़ी के पोल, निजी नलकूपों की चोरी और तहसील स्तर पर लंबित राजस्व मामलों की बातें रखीं। जिलाधिकारी ने इन सभी मुद्दों पर अलग-अलग विभागों को तुरंत कार्यवाही करने का निर्देश दिया।
बैठक में यह भी तय हुआ कि किसानों को पशुओं में फैल रही लंपी बीमारी और अन्य रोगों के प्रति वीडियो माध्यम से जागरूक किया जाए। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि गलाघोटू और खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियों से बचाव के लिए गांव-गांव टीकाकरण अभियान चल रहा है और किसानों से अपील की गई कि वे अपने पशुओं का समय से टीकाकरण कराएं।
किसानों को योजनाओं की जानकारी भी दी गई। उप कृषि निदेशक सुभाष मौर्य ने कहा कि इस वर्ष प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम योजना) के तहत लगभग 80 से 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा कृषि यंत्रीकरण योजना और खाद की संतुलित मात्रा में उपयोग को लेकर भी किसानों को मार्गदर्शन दिया गया।
धान की फसल में रोग नियंत्रण के उपाय विषय विशेषज्ञ धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने विस्तार से बताए। उन्होंने किसानों को पत्तियों के सूखने और बाली आने पर कीट लगने की समस्या से निपटने के लिए दवाइयों और छिड़काव की विधि समझाई।

किसान दिवस की यह बैठक केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं रही, बल्कि इसमें किसानों की आवाज को सही मायनों में सुना गया। जिलाधिकारी ने जिस गंभीरता से समस्याओं को संज्ञान में लिया और अधिकारियों को तुरंत निस्तारण के निर्देश दिए, उससे किसानों में विश्वास की नई ऊर्जा जगी। यह भरोसा बढ़ा कि उनकी मेहनत और संघर्ष का सम्मान होगा और उनकी समस्याओं का समाधान भी निश्चित रूप से होगा।
